Sunday, July 7, 2013

तनु थदानी की कवितायें कायर नहीं हूँ मैं tanu thadani ki kavitaayen kaayar nahi hun main

रूप  बदलती  नायिका  ने, 
पूरी  कहानी  का  ही  रूप बदल डाला ,
मगर उसी  कहानी  में  अछूता  बचा  मैं !
मैं  खुद  अपनी  प्रेम- कथा  के  निर्वासन  का , 
बन  गया  इकलौता  गवाह  इस  पार !

नहीं   मानी  जायेगी  मेरी  गवाही ,
सभी  मेरी  प्रेम-कथा  को उपस्थित  मान  रहें  हैं !
कुछ  भी  तो  नहीं  बदलता  है ,
जब  साफ़- सुथरे  शरीर  की  आत्मा  मैली  हो  जाती  है ,
मुस्कानों  से  मासूमियत  खो  जाती  है !
मैं  अपनी  प्रेम- कथा  से  खुद  को  अलग  कर  रहा  हूँ ,
मगर  अलग  नहीं  कर  पाऊँगा  प्रेम  को !

विश्वासों  में   घातों  का  प्रचलन  क्यों  मान्य  है ?
विश्वास  हो  तो  हर  इक  मान्यता  रद्द   हो  जाती  है !

हे  ईश्वर !
तुझमे  बसा - रचा  मैं  ,
तुम  तक  लौट  आने  को  हूँ  तैयार  !
खारिज़  करता  हूँ  अपने  आवरण  को ,
कायर  नहीं  हूँ  मैं ,
देखो ! कैसे  कमल  बन  गया  मैं , तुम  पर  ही  अर्पित  होने  को , 
मगर  कीचड़  से  तो  नहीं  कर  सकता  प्यार  !!
   

No comments:

Post a Comment