रूप बदलती नायिका ने,
पूरी कहानी का ही रूप बदल डाला ,
मगर उसी कहानी में अछूता बचा मैं !
मैं खुद अपनी प्रेम- कथा के निर्वासन का ,
बन गया इकलौता गवाह इस पार !
नहीं मानी जायेगी मेरी गवाही ,
सभी मेरी प्रेम-कथा को उपस्थित मान रहें हैं !
कुछ भी तो नहीं बदलता है ,
जब साफ़- सुथरे शरीर की आत्मा मैली हो जाती है ,
मुस्कानों से मासूमियत खो जाती है !
मैं अपनी प्रेम- कथा से खुद को अलग कर रहा हूँ ,
मगर अलग नहीं कर पाऊँगा प्रेम को !
विश्वासों में घातों का प्रचलन क्यों मान्य है ?
विश्वास हो तो हर इक मान्यता रद्द हो जाती है !
हे ईश्वर !
तुझमे बसा - रचा मैं ,
तुम तक लौट आने को हूँ तैयार !
खारिज़ करता हूँ अपने आवरण को ,
कायर नहीं हूँ मैं ,
देखो ! कैसे कमल बन गया मैं , तुम पर ही अर्पित होने को ,
मगर कीचड़ से तो नहीं कर सकता प्यार !!
पूरी कहानी का ही रूप बदल डाला ,
मगर उसी कहानी में अछूता बचा मैं !
मैं खुद अपनी प्रेम- कथा के निर्वासन का ,
बन गया इकलौता गवाह इस पार !
नहीं मानी जायेगी मेरी गवाही ,
सभी मेरी प्रेम-कथा को उपस्थित मान रहें हैं !
कुछ भी तो नहीं बदलता है ,
जब साफ़- सुथरे शरीर की आत्मा मैली हो जाती है ,
मुस्कानों से मासूमियत खो जाती है !
मैं अपनी प्रेम- कथा से खुद को अलग कर रहा हूँ ,
मगर अलग नहीं कर पाऊँगा प्रेम को !
विश्वासों में घातों का प्रचलन क्यों मान्य है ?
विश्वास हो तो हर इक मान्यता रद्द हो जाती है !
हे ईश्वर !
तुझमे बसा - रचा मैं ,
तुम तक लौट आने को हूँ तैयार !
खारिज़ करता हूँ अपने आवरण को ,
कायर नहीं हूँ मैं ,
देखो ! कैसे कमल बन गया मैं , तुम पर ही अर्पित होने को ,
मगर कीचड़ से तो नहीं कर सकता प्यार !!
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