Monday, February 18, 2013

तनु थदानी की कवितायें - काश tanu thadani ki kavitaayen - kaash

मैं  शायद   नहीं रोता ,
अगर  किसी   ने  मेरा   हाल ना  पूछा  होता !

कुछ  टूटे- फूटे  सपनों   को  तकिया  बना  जागता  हूँ ,
किसी  की  नर्म  अँगुलियां ,
मेरे  बालों  को  सहलाती , तो  मैं  भी  सोता !

मेरी   नन्ही सी  जिन्दगी ,
मेरे  सीने  से  लिपट  फुसफुसाती  है ,
कि  , उसे  यहाँ  डर   लग  रहा है ,
जरुर  मेरा   घर  एक  जंगल  है ,
वरना  मैं  खुद   के  ही  घर  में   क्यूँ  यूँ  खोता ?

किसी  के  आगमन  पर ,
कोई  खामोशी   का  नगाड़ा   बजाता  है  भला ?    
भाव  तो  नग्न  कर  दिये  थे  अपनों  ने ,
किसी  ने  शब्दों  को   ही  कपडा  बनाया  होता  !

नहीं  समझेगा  कोई ,
कि  मैं  बातें  किससे  कर  रहा  हूँ ,
तुम  तो  मेरे अन्दर  हो ,
काश ! जमीन   मिल  जाती  मेरी  बिटिया ,
जहां  मैं  तुझे  बोता !!     





  

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