Saturday, December 30, 2017

मेरी मुस्कान एक अलमीरा है

मेरी मुस्कान एक अलमीरा है बहुत बड़ी,
भीतर आँसू हैं मेरे,
कभी देखा है मुझे रोते हुए ??

पूरी गृहस्थी को अनवरत ढ़ोता खींचता जाता हूँ ;
छिल जाते हैं कंधे , हाँफता हूँ ,रुकता हूँ ,
फिर मुस्कुराता हूँ !
धोखे में न आना ,
ये तो खुशी से हैं मेरी आँखें भरी भरी !!

गले मिलना कभी आ के,
तुम भी मुस्कुराओगी ,
मेरे कंधे गीले कर ,
चुपचाप चली जाओगी ,
पर मुझे नहीं बताओगी !

अजीब हैं न हम ,
करते कुछ हैं,
दिखाते कुछ हैं ,
हँसते बनावटी जरूर हैं ,
मगर रोते सचमुच हैं !
धत् पगली ,तू क्यूँ रोती है ;
मैं हूँ न तेरे साथ, हर क्षण, हर घड़ी !!
----------------------- तनु थदानी

Sunday, April 30, 2017

जब भी घर को बचाने के लिये

जब भी घर को बचाने के लिये
उसे बाहों में भर लेता हूँ ,
मेरी ही छाया मेरे धैर्य को निगल
ध्वस्त्  कर देती है मुझे !

माँ , जब तू काँपती है अपने ही घर की कंपन में ,
तब शर्म  से मेरी आंखे झुकती हैं ,
असमर्थ हो जाता हूँ , सो मेरे कंधे भी झुकते हैं !

माँ , सच कहता हूँ ,
हार गया मैं अपनी छाया से !
न बैठा हूँ अब तलक , न ही सोया हूँ ,
मेरी पीठ दुखती है , मेरे पैर दुखते हैं !!

मेरे कमरे के कोने में दुबकी हँसी की गवाही ले लो ,
मैं सचमुच नहीं मिला वर्षों से उससे !

बचपन में तेरे लिये पूरा शहर खरीदने वाला मैं ,
एक कतरा मुस्कान न ला सका तेरे लिये ,
बड़े होने का दंश झेलता हूँ ,
तू मेरा हाथ मत छोड़ना माँ !
बह न जाऊं मैं ,
मेरे आंसू तो तेरे आंचल में ही रुकते हैं !!😢😢