Sunday, February 22, 2015

tanu thadani तनु थदानी हम क्यूँ नहीं समझते

पूरी रात ही निचुड़ कर गिर पड़ी,
उजाले को धो कर निचोड़ा ही तो था !

जो  बावलें पत्थर की  ताकत
नापते हैं अपने सिर से
सलामत नहीं रह पाते !
इधर सिर ने आजमाया रिश्तों को
रहा सहा रिश्ता भी टूटा ,
बेशक वो थोड़ा  ही तो था !

सांसो के ताने बाने के बीचो बीच ही
है जीवन  का ठिकाना ,
मित्र ! झूठ फरेब के गाँव मिलेंगे ,
प्रपंचो की होगी खेती ,
आम की गुठली से आम ही होंगे ,
कतई झांसे में न आना !

वो हर एक अक्षर
जिससे बना सकते थे प्रेम के शब्द
तुमने ही विष पिरोया शब्दों में ,
उसका हर अक्षर कोरा  ही तो था !

संबंधो में दरार आये तो पाटना ,
विषबेल उगे तो काटना !
बूढ़ा बरगद हो या शाम की ढ़लती धूप ,
दोनों के साये में ही
सुकून है मीठा सा
कहीं मिल जाये तो बांटना !

रिश्तों में जुड़ाव हो कसाव नहीं
बात फकत इतनी सी ही
हम क्यूँ नहीं समझते ?
अरे ! ये गांठ कहाँ से आयी ??
हमने तो बंधन को कस के जोड़ा ही तो था !

Wednesday, February 18, 2015

tanu thadani तनु थदानी चहकेंगी मेरे घोंसले में भी चिड़िया




मेरी  हँसी में
ढ़ेर सारी हँसी है ,
फिर भी खुशी की एक घड़ी बाकी है !

मेरी खुशियों में
मैं हूँ , तुम हो , परिवार है पूरा ,
मगर हम में एक कड़ी बाकी है !

मैं हूँ पुरुष,
बेटा हूँ , पति हूँ , बहुत  कुछ हूँ ,
मगर पूरा नहीं मैं पुरुष ,
मेरे ख्वाबों  में नन्ही एक परी बाकी है !

एक स्वेटर सा बुना जाना तो जीवन नहीं ,
महज सांसो का आना जाना भी जीवन नहीं !
मेरे ख्वाबों से रिसता है एक जंगल,
जहाँ मचान हैं , झाड़ हैं , पूरी नोक वाले तिनके हैं ,
चुभते हैं ,
मगर अम्मा ने बताया था - घबराना भी जीवन नहीं !

मिला है जंगल तो घोंसला बनाऊंगा ,
चहकेंगी मेरे घोंसले में भी चिड़िया ,
अभी मेरे ख्वाबों की एक लड़ी बाकी है !!