Monday, September 29, 2025

आत्मीयता होती है जहर

आत्मीयता  होती  है  जहर ,
जीवन   के सफ़र  के  दौरान ,
जहरखुरानो  से  सावधान !

बहुत  सारे  शब्दों  से  बनती  हैं  कहानियां ,
बहुत  सारी  कहानियां  निःशब्द  रह  जाती हैं ,
जिनकी  निःशब्दता  में   होता  है  ऐसा  समर्पण   ,
जो  पूरी  की  पूरी  कहानी  बयां  कर  जाती  है !

जीवन  के  सफ़र  में  नहीं   होनी चाहिये  आत्मीयता ,
होना  चाहिये  मात्र  समर्पण !

वैसे  भी आत्मीयता  दिखाने  की  चीज  होती  है ,
मगर  समर्पण  तो  करना  पड़ता  है !
समर्पण  सदैव  लबालब  है  रहता ,
आत्मीयता  में  बहुत  कुछ  भरना  पड़ता   है !

जहां  सब  हैं  खरीददार ,
सब  ही  हैं  दूकानदार ,
मानो  या  ना  मानो  आत्मीयता की  है  दूकान !
आना - जाना -देखना - छूना ,
मगर  जहरखुरानो  से  सावधान !!
------------------- तनु थदानी

Saturday, September 27, 2025

रोया मैं बिछड़ कर तुमसे

रोया मैं बिछड़ कर तुमसे ,
लगा धुल कर मेरी आंखों से,
जिंदगी फिसल गयी !
कुछ तो था मेरे भीतर सुलगता सा,
अरे ! क्या तुम थी ??
तभी तो मेरी मौत जल गयी !

प्रेम का अपना ही व्याकरण है होता ,
प्रेम का अपना ही शब्दकोष होता है ,
जब हम नहीं मानते उस शब्दकोष को ,
सरल सा प्रेम एक पेचीदेपन में खोता है !

जब मैं तुम्हारे भीतर चल रहा था ,
तुम चल  रही थी मेरे भीतर ,
पता  नहीं चलने दिया कमबख्त उम्र ने ,
कि कब कैसे तुम मेरी आदतों में ढल गयी !

जीवन की महफिलों में ,
हंसी में , मुस्कुराहट में ,
आलिंगन से ले कर नशीली चाहत में ,
वादों का खजाना मिला हर दामन में !
गठबंधनों के सैलाब में ,
घुल गयीं जिंदगीयां ,
सब मिला , बस प्रेम की कमी खल गयी !

क्या आज भी प्रेम होता है ?
आ जाओ फिर से ,
तुम आखरी साक्ष्य बनोगी प्रेम का ,
मेरे पास बची हैं कुछ सांसे , संभालो उसको ,
अनगिनत सांसे तो तुम्हें याद करते - करते ही निकल गयीं !
-----------------------  तनु थदानी