Tuesday, March 22, 2016

Tanu thadani तनु थदानी मेरी मुस्कान वापस आयी है





मेरे आंसुओं का खुशबू से तर हो जाना ;
नि:शब्दता को भींचना गले लगाना ;
जाहिर है तुमने कुंडी खटखटाई है ;
तुम्हारे साथ मेरी मुस्कान वापस आयी है !


नाहक पढ़ीं किताबें
कर डाले कागज़ काले ;
सीख न पाये दिल की भाषा पढ़ पाना  !
बहुत खोजा तेरे होने का मतलब ,
बीते कल को ढ़ोने का मतलब ;
मतलब का एक शहर समूचा ,
हाथ पकड़ना ; गुम हो जाना ;
फिर से तेरा लौट के आना ;
चुपचाप पड़े बिस्तर का गाना ;
जाहिर है हर सिलवट मुस्कायी है ;
सचमुच मेरी मुस्कान वापस आयी है !


देखो सागर का उछलना - मचलना ;
समझो उसका आनंदित हो जाना ;
जाहिर है उसमें नदी समायी है ;
ये मैं नहीं लिख रहा कविता
ये तो मेरी मुस्कान वापस आयी है !!
------------------- तनु थदानी



Saturday, March 12, 2016

tanu thadani तनु थदानी हे ईश्वर तू नहीं है बेहतर मेरी माँ से





अपनी माँ की गोद में
मैं भी कभी शहजादा रहा होऊँगा !
उम्र ने तो मुझे भिखारी बना दिया ;
अब प्यार मांगना पड़ता है !
लोरियों के हिसाब से बड़ा हो गया हूँ ना
सो अब जागना पड़ता है !


माँ ; तू तो आज भी मेरे गालों को सहलाना चाहती है  ;
जानता हूँ ; मगर नहीं पहुंच पाता ;
वक्त ने तो मुझे व्यापारी बना दिया !


मेरे लिए तो दुनियां आज भी शेषनाग पे टिकी है
बाकायदा बचपन के किस्सों में भटकता हूँ ;
सच तो ये है कि
खिलौने खरीदने के एवज़ में
सिलसिलेवार मेरी खुशियाँ ही बिकी हैं  ;
अंततः खुद खिलौना बन गया
छटपटाता हूँ सिर पटकता हूँ !
जरूरतों ने लिखने पढ़ने को मजबूर किया ,
मजबूरी ने तो मुझे अनाड़ी बना दिया !


हे ईश्वर ! तू नहीं है बेहतर मेरी माँ से ,
तेरे संसार की कोख़ में बहुत बेचैनी है ;
याद तो नहीं है पर निश्चित ही
मैं माँ के गर्भ में सुखी ज्यादा रहा होऊँगा !
---------------------- तनु थदानी