चलो ! एक समूची हँसी के लिये ,
मुस्कुराहट की किस्तें जमा करते हैं !
मगर करें कहाँ जमा ?
माँ का कमरा नम दिखता है ,
जरुर सोख लेगी नमी ,
हमारी मुस्कुराहट की पहली किस्त!
कतई नहीं पूछेगें माँ से कि नमी आती कहाँ से है !
पापा तस्वीरों में ही नहीं ,
हमारे दिलों में रहते हैं !
माँ ! देख हमारी मुस्कुराहटों में पापा हैं ना ?
पापा भी कभी मरते हैं ??
पूरी दिनचर्या को सलीब सा माँ कंधों पे ढ़ोती है ,
माँ की चहल कदमी ,
एक एक पदचाप ,
पूरे घर में जब मौन लिखता है ,
सच कहूँ , माँ का कमरा ही नहीं ,
पूरा घर नम दिखता है !
क्यूँ नहीं देखा माँ को , कि माँ भी कभी रोती है !
परछाईयों ने जब्त कर ली है रौशनी ,
चलो ! परछाईयों के टुकड़े करते हैं!
रौशनी होगी तो देखेगी माँ हमारी मुस्कुराहट ,
रौशनी होगी तो माँ हँसी देखेगी हमारी ,
माँ जरुर हँसेगी ,
चलो ! पूरे घर में रौशनी भरते हैं !!