अपनी माँ की गोद में
मैं भी कभी शहजादा रहा होऊँगा !
उम्र ने तो मुझे भिखारी बना दिया ;
अब प्यार मांगना पड़ता है !
लोरियों के हिसाब से बड़ा हो गया हूँ ना
सो अब जागना पड़ता है !
माँ ; तू तो आज भी मेरे गालों को सहलाना चाहती है ;
जानता हूँ ; मगर नहीं पहुंच पाता ;
वक्त ने तो मुझे व्यापारी बना दिया !
मेरे लिए तो दुनियां आज भी शेषनाग पे टिकी है
बाकायदा बचपन के किस्सों में भटकता हूँ ;
सच तो ये है कि
खिलौने खरीदने के एवज़ में
सिलसिलेवार मेरी खुशियाँ ही बिकी हैं ;
अंततः खुद खिलौना बन गया
छटपटाता हूँ सिर पटकता हूँ !
जरूरतों ने लिखने पढ़ने को मजबूर किया ,
मजबूरी ने तो मुझे अनाड़ी बना दिया !
हे ईश्वर ! तू नहीं है बेहतर मेरी माँ से ,
तेरे संसार की कोख़ में बहुत बेचैनी है ;
याद तो नहीं है पर निश्चित ही
मैं माँ के गर्भ में सुखी ज्यादा रहा होऊँगा !
---------------------- तनु थदानी
No comments:
Post a Comment