Saturday, December 30, 2017

धत् पगली तनु थदानी tanu thadani

धत् पगली

मेरी मुस्कान एक अलमीरा है बहुत बड़ी,
भीतर आँसू हैं मेरे,
कभी देखा है मुझे रोते हुए ??

पूरी गृहस्थी को अनवरत ढ़ोता खींचता जाता हूँ ;
छिल जाते हैं कंधे , हाँफता हूँ ,रुकता हूँ ,
फिर मुस्कुराता हूँ !
धोखे में न आना ,
ये तो खुशी से हैं मेरी आँखें भरी भरी !!

गले मिलना कभी आ के,
तुम भी मुस्कुराओगी ,
मेरे कंधे गीले कर ,
चुपचाप चली जाओगी ,
पर मुझे नहीं बताओगी !

अजीब हैं न हम ,
करते कुछ हैं,
दिखाते कुछ हैं ,
हँसते बनावटी जरूर हैं ,
मगर रोते सचमुच हैं !
धत् पगली ,तू क्यूँ रोती है ;
मैं हूँ न तेरे साथ, हर क्षण, हर घड़ी !!


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