Friday, February 15, 2013

तनु थदानी की कवितायें , तुम आना जरुर tanu thadani ki kavitaayen - tum aanaa jarur .




मेरी   आत्महत्या  में 
आमंत्रित   हो  तुम  
क्यों  कि 
मेरी  आत्महत्या  तो   विस्तार  है   तुमसे  नफरत  का !
तुम   आना   जरुर ,
तभी  तो  एक  बार 
मेरे  शरीर   से  मुझे  अलग   होते  महसूस  करोगी !

क्या    फर्क  पड़ेगा  तुम्हे 
मुझे  नहीं  मालूम 
पर   मैं  जरुर  मुक्त  हो  जाउंगा  नफरत   की कड़ियों  से !

क्यों    हम   जीते   हैं   प्रेम  के  लिये  ?
प्रेम   से  क्यों  नहीं  जी  पाते  ??
प्रेम  के  लिये   जीने  में  शामिल    होती है  जिद 
मगर  प्रेम  से  जीने  में   चाहिये  मात्र  समर्पण !

मैं   फिर  कभी नहीं  मिलुंगा 
ना   शरीर  से ,   ना   याद से   ,
छूट  जायेगी  तुम्हारे  इर्द- गिर्द 
मेरी  तड़प , मेरी टीस  ,एक ना उम्मीदगी  ,
साथ  में  अकेलेपन   का गहरा  समुन्दर  !

तुम  आना  जरुर  
मेरी   आत्महत्या  तो  एक  जश्न   होगी  
मेरी   आत्महत्या     में  मैं   तो  जीवित   रहूंगा 
मेरे  भीतर  केवल तुम  मरोगी  !


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