दूसरा तुम पकड़ो,
चलो , यादों का झूला बनाया है ,
तुम झूलो मेरे साथ , मुझे जोर से जकड़ो !
सातों फेरों में था एक अनुबंध ,
एक हिस्सेदारी थी ,
मेरे संपूर्ण के आधे की !
लो , तुम मेरा आधा नहीं समूचा हिस्सा ,
नहीं चाहिये एक कण भी मुझे मेरे हिस्से का !
मेरे लिये केवल तुम ही काफी हो ,
केवल और केवल तुम मेरे हिस्से में आ जाना !
सुनो , जलेबियाँ सीधी नहीं होती ,
मगर मीठी तो होती हैं !
मैं तो मेहंदी के मानिंद हूँ ,
हरे से लाल होता हूँ ,
आओ ,खुशियाँ फंसा लो , मैं जाल होता हूँ !
वो मेरा सपना था जो टूट गया ,
पगली , तू क्यों रोती है ?
मैंने बांहें फैला दी हैं ,
जब चाहो आ जाना ,
समा जाना मेरे सीने में , देना हाथों में हाथ !
तुम्हारे जिस्म पे शर्तों के आभूषण चुभते हैं ,
छिल जायेगा मेरा सीना
मुझे नहीं मंजूर एक भी खरोंच मेरे सीने पर ,
क्यों की वहां तुम रहती हो , मेरी यादों के साथ !!
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