Monday, March 11, 2013

तनु थदानी की कवितायें -मैंने बांहें फैला दी है tanu thadani ki kavitaayen maine baanhey failaa di hain.



आओ , मैंने  पकड़   लिया   प्रेम   का एक  सिरा,
दूसरा  तुम  पकड़ो,
चलो , यादों  का  झूला  बनाया  है ,
तुम  झूलो  मेरे  साथ , मुझे  जोर  से   जकड़ो !

सातों  फेरों  में  था  एक  अनुबंध ,
एक  हिस्सेदारी  थी ,
मेरे  संपूर्ण  के  आधे  की !
लो , तुम  मेरा  आधा  नहीं  समूचा  हिस्सा ,
नहीं  चाहिये  एक  कण   भी  मुझे  मेरे हिस्से  का !
मेरे  लिये  केवल  तुम  ही  काफी  हो ,
केवल   और  केवल  तुम मेरे  हिस्से  में  आ  जाना !

सुनो , जलेबियाँ   सीधी    नहीं  होती ,
मगर  मीठी   तो  होती  हैं !
मैं  तो  मेहंदी  के  मानिंद  हूँ ,
हरे  से  लाल  होता  हूँ ,
आओ  ,खुशियाँ  फंसा  लो  , मैं  जाल  होता  हूँ !
वो  मेरा  सपना था  जो  टूट गया ,
पगली ,  तू  क्यों  रोती  है  ?

मैंने  बांहें  फैला  दी  हैं ,
जब  चाहो  आ  जाना ,
समा  जाना  मेरे  सीने  में , देना  हाथों  में  हाथ !
तुम्हारे  जिस्म  पे  शर्तों  के  आभूषण  चुभते  हैं ,
छिल  जायेगा  मेरा  सीना 
मुझे  नहीं  मंजूर  एक भी  खरोंच  मेरे  सीने   पर ,
क्यों  की  वहां  तुम  रहती  हो , मेरी  यादों  के  साथ  !!  




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