Wednesday, October 29, 2014

tanu thadani तनु थदानी अब बच्चों को तय करना है

तुम आस्था को तर्कों से बाँधते हो ना ?
मगर पहले तय तो कर लो ,
लोग तर्कों में क्या क्या सानते हैं !

तर्क मेरे बच्चे की तरह होते हैं,
मगर आस्था तो माँ  की मानिंद लगती है !
बच्चे हो चुके हैं प्रगतिशील ,
दो रंगों को मिला तीसरा रंग बनाते हैं ,
भाषाओं पर कब्जा करने वालों को ,
समझते हैं पढ़ा लिखा ,
संकेतो को भी नई भाषा बताते हैं !
माँ ने कभी भाषा नहीं बदली ,
क्या माँ भी कभी ठगती है ?

डूबता हुआ सूरज ,
या उगता हुआ सूरज ,
बच्चों ने अमान्य कर दिया ,
बताया , पृथ्वी ही घूमती है !

माँ ने डूबते सूरज को पूजा , फिर उगते सूरज को ,
पूरे परिवार की सलामती के लिये रखा उपवास!
क्यों कि उसे सूरज से मतलब है ,
जिसकी रौशनी में वो बच्चों को देखती है,
उन्हें प्यार करती है , उन्हें चूमती है !

अब बच्चों को तय करना है कि ,
वो माँ को कितना मानते हैं ??