Thursday, July 31, 2014

Tanu thadani तनु थदानी आना भईया कभी मेरे उत्तर प्रदेश आना

आना भईया कभी मेरे उत्तर प्रदेश आना
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तय कुछ भी नहीं होता है पहले से ,
ना समर्थन में कुछ,
ना ही विरोध में !

जब खाना नहीं मिलता भूखे को ,
वो तय करता है खाना छीनना !
भूखे का खाना छीनना कतई समर्थन नहीं होता आगजनी का ,
भूखा सिर्फ भूखा है ,
यही तय है पहले से ,
चाहे वो चुपचाप है या है वो क्रोध में !

हम हिन्दू मुसलमान होने से पहले ,
नहीं तय कर पाते ,
कि हम पहले भूखे नंगे हैं !
क्यूँ नहीं समर्थन दे पाते हैं पहले भूख को ?
क्यूँ गुजार देते हैं फटेहाल जीवन ,
अपने अपने धर्मों के शोध में ??

आंखों से सपने बीनना ,
लिखना-पढ़ना फिर बेरोजगार हो जाना ,
आना भईया कभी हमारे उत्तर प्रदेश आना ,
केवल यहाँ पहले से तय होता है सब कुछ ,
तुष्टीकरण से ले कर फसाद व विवाद तक ,
मुजफ्फरनगर से ले कर फैजाबाद तक ,
मरना तो आम आदमी को ही है भईया !
लाशों पे राजनीति करने वाले ,
सदा दीखेंगे ,
सफेद झक्क कुरतों के भीतर आनंद व विनोद में !!

Sunday, July 27, 2014

Tanu thadani ki kavitayn और मैं मान ही लेता तनु थदानी की कविताएँ

कहते हैं क्रांति हुई है ,
पूरी दुनियां छोटी हो गयी है !
मगर ,
नहीं दिखती मुझे दुनियां छोटी !

मैं मान भी लेता ,
काश! दुनियां गंर मेरे और तुम्हारे बीच सिमट जाती !!

खामोशी का बतियाना तो कवियों का जुमला भर है ,
प्रिय, किसी खामोशी में , पूरे आनंद से ,
मैं बतियाता ,
मैं कुछ गाता ,
कोई सुन न पाता ,
केवल तुम सुन पाती !
और मैं मान ही लेता ,
छोटी हुई दुनियां की बात बिलकुल सही है !!