गन्दी बदबूदार नालियों के पानी से ,
नहा के निकली ,
मंगलसूत्र ठीक किया ,
काजल - बिंदी - लिपिस्टिक लगायी ,
घर आ कर परिवार ओढ़ लिया !
हवा के चप्पे- चप्पे पर फैली गंध ने ,
कभी नहीं बख्शा उसे ,
हवा की शिकायत जायज़ थी ,
खुद को मैला किया फिर गंध हवा में क्यूँ मिलायी ?
पायल तो आवाज़ कर देती है सो फेंक दिया ,
पैरों से चाल जानी जाती है , चलन नहीं ,
फिर पैरों को क्यूँ सिकोड़ा मोड़ लिया ??
आप जब खुद को देते हैं धोखा ,
तब आप खुद ही से खुद को छिपाते हैं !
उसकी तो कोई मज़बूरी ही रही होगी ,
जो सब जानता है फिर भी साथ है रहता ,
परिवार रहे जुड़ा सो उसने देर ना लगायी ,
उस शख्स ने चुपचाप अपना दिल ही तोड़ लिया !!
नहा के निकली ,
मंगलसूत्र ठीक किया ,
काजल - बिंदी - लिपिस्टिक लगायी ,
घर आ कर परिवार ओढ़ लिया !
हवा के चप्पे- चप्पे पर फैली गंध ने ,
कभी नहीं बख्शा उसे ,
हवा की शिकायत जायज़ थी ,
खुद को मैला किया फिर गंध हवा में क्यूँ मिलायी ?
पायल तो आवाज़ कर देती है सो फेंक दिया ,
पैरों से चाल जानी जाती है , चलन नहीं ,
फिर पैरों को क्यूँ सिकोड़ा मोड़ लिया ??
आप जब खुद को देते हैं धोखा ,
तब आप खुद ही से खुद को छिपाते हैं !
उसकी तो कोई मज़बूरी ही रही होगी ,
जो सब जानता है फिर भी साथ है रहता ,
परिवार रहे जुड़ा सो उसने देर ना लगायी ,
उस शख्स ने चुपचाप अपना दिल ही तोड़ लिया !!