Friday, May 10, 2013

तनु थदानी की कवितायें - सोचों tanu thadani ki kavitaayen socho

हँसती  -  खेलती  - मुस्कुराती ,
चमकते  दांतों  वाली  लडकियां ,
हमारे  वजूद  का  हिस्सा  हैं  !

गुलाब  जामुन  में ,
ना  तो  गुलाब  होता  है 
ना  ही  जामुन ,
फिर  भी  मिठास  का  झोंका  है !
खाते  हम   सभी  हैं ,
मगर  दुष्प्रचार  करते  हैं  कि  नाम  में  धोखा   है !

हमारे  घरों  के  दालानों  में ,
छतों  पर  , खिड़कियों  पर ,
चहल- पहल  करतीं , हँसती  - खिलखिलाती  लड़कियां ,
वही  मिठास  हैं ,
जो गुलाब  औं  जामुन के नामों  में  गुम  हैं !
घर  की  दहलीज़  के  बाहर ,
इन्ही  मिठास  पर ,
जहरीली  चींटियाँ  बन  कर चिपकने  वाले ,
हम  और  तुम  हैं !

हमें  कभी  तो  दूसरों  के  बालों   का  स्टाईल  पसंद  नहीं  आता ,
कभी  दूसरों  का  चलना - फिरना , बातों  का  अंदाज़  नहीं  भाता !
हम  ना  तो  आईना  देखते  हैं ,
ना  ही  रखते  हैं ,
फिर  भी  खुद  को  समझदार  कहते  हैं  !

खुद  की  कुदृष्टि  खुद  पे  डालते  हैं ,
फिर  बड़ी  चालाकी  से  मानते  हैं ,
कि  ये  तो  हर  घर-घर  का किस्सा  है !!

सोचों  !
जिस  दिन  खो  जायेगी  मिठास ,
उस  दिन  ना  तो  गुलाब ,
ना  ही  जामुन ,
अपने  नामो  से पसंद  आयेगा ,
तुम  दूसरों  के  चेहरों  को  नापसंद  करते  हो  ना ?
तुम्हारा  भी  चेहरा एक  दिन  तुमको ,
बेखौफ   हो  कर  चिढ़ायेगा !!



 







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