हँसती - खेलती - मुस्कुराती ,
चमकते दांतों वाली लडकियां ,
हमारे वजूद का हिस्सा हैं !
गुलाब जामुन में ,
ना तो गुलाब होता है
ना ही जामुन ,
फिर भी मिठास का झोंका है !
खाते हम सभी हैं ,
मगर दुष्प्रचार करते हैं कि नाम में धोखा है !
हमारे घरों के दालानों में ,
छतों पर , खिड़कियों पर ,
चहल- पहल करतीं , हँसती - खिलखिलाती लड़कियां ,
वही मिठास हैं ,
जो गुलाब औं जामुन के नामों में गुम हैं !
घर की दहलीज़ के बाहर ,
इन्ही मिठास पर ,
जहरीली चींटियाँ बन कर चिपकने वाले ,
हम और तुम हैं !
हमें कभी तो दूसरों के बालों का स्टाईल पसंद नहीं आता ,
कभी दूसरों का चलना - फिरना , बातों का अंदाज़ नहीं भाता !
हम ना तो आईना देखते हैं ,
ना ही रखते हैं ,
फिर भी खुद को समझदार कहते हैं !
खुद की कुदृष्टि खुद पे डालते हैं ,
फिर बड़ी चालाकी से मानते हैं ,
कि ये तो हर घर-घर का किस्सा है !!
सोचों !
जिस दिन खो जायेगी मिठास ,
उस दिन ना तो गुलाब ,
ना ही जामुन ,
अपने नामो से पसंद आयेगा ,
तुम दूसरों के चेहरों को नापसंद करते हो ना ?
तुम्हारा भी चेहरा एक दिन तुमको ,
बेखौफ हो कर चिढ़ायेगा !!
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