शीर्षक का एक अनुबंध होता है
कथानक के साथ ;
शीर्षक चुपके से बता जाता है -
कथानक का सारांश !
मैं तुम्हें हमारी प्रेम कथा का शीर्षक बनाता हूँ
खुद सरल सारांश के लिये
एक कथानक बन जाता हूँ !
मेरे कथानक के आंगन में
बाबू जी हैं ;अम्मा है ;और बच्चे हैं !
मेरे कथानक की छत पे
कड़ी धूप में सूखते
हमारे प्रेम के किस्से हैं ;
वो हमारे परिवार के ही हिस्से हैं
बेशक उबर -खाबड़ हैं
फिर भी अच्छे हैं !
तुम रसोई घर में खाना बनाती हो ;
कपड़े धोती हो ; घर सजाती हो ;
परदे लगाती हो फिर मेरे पास आती हो !
मैं घटनाओं सा पसर जाता हूँ
महज हवा ही तो हूँ मैं
मगर तुम तो हो मेरी सांस !
जितना आसान है होता बनना कथानक
उतना कठिन होता है चुनना एक शीर्षक !
बेहद सुखद होता है
किसी शीर्षक का स्वत: चुपके से
बनना कथानक का सारांश !
हाशिये तक खाली नहीं रहें कथानक के पन्नों के ;
बाबू जी और अम्मा ने लिख दिया था वहाँ
कथानक के साथ ;
शीर्षक चुपके से बता जाता है -
कथानक का सारांश !
मैं तुम्हें हमारी प्रेम कथा का शीर्षक बनाता हूँ
खुद सरल सारांश के लिये
एक कथानक बन जाता हूँ !
मेरे कथानक के आंगन में
बाबू जी हैं ;अम्मा है ;और बच्चे हैं !
मेरे कथानक की छत पे
कड़ी धूप में सूखते
हमारे प्रेम के किस्से हैं ;
वो हमारे परिवार के ही हिस्से हैं
बेशक उबर -खाबड़ हैं
फिर भी अच्छे हैं !
तुम रसोई घर में खाना बनाती हो ;
कपड़े धोती हो ; घर सजाती हो ;
परदे लगाती हो फिर मेरे पास आती हो !
मैं घटनाओं सा पसर जाता हूँ
महज हवा ही तो हूँ मैं
मगर तुम तो हो मेरी सांस !
जितना आसान है होता बनना कथानक
उतना कठिन होता है चुनना एक शीर्षक !
बेहद सुखद होता है
किसी शीर्षक का स्वत: चुपके से
बनना कथानक का सारांश !
हाशिये तक खाली नहीं रहें कथानक के पन्नों के ;
बाबू जी और अम्मा ने लिख दिया था वहाँ
कि कथानक और शीर्षक दोनों ही अच्छे हैं !
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