Monday, February 17, 2014

tanu thadani फिर बताओ तनु थदानी





फिर बताओ
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हमारी तमीज को टटोलते वो लोग ,
रात का इंतजार बस इसलिए करते हैं ,
कि नंगापन उनका छिप जाये !

भेड़ियों ने नेलपालिश खरीदी ,
गधो ने पायजामे ,
हम दोनों घटनाओं पर  शोध  करते रहें ,
और पूरा घर भर गया बंदरो से ,
चकित हुँ कि अब ये कहाँ से आये ?

खटिया आज भी बाहर नहीं है चलन से ,
बस सोफे वालों ने ,
खड़ी कर दी है हमारी खटिया !
गरीब तो महज मुहावरे से चूक जाते हैं ,
खड़ी तो खटिया ही होतीं हैं ना ,
सोफे तो महज जाते हैं सरकाये !

बिक जाने दिये हमने सपने अपने ,
खुद ही बेचे तो मलाल कैसा ?
उन्हें तो चाहिए था पैसा ,
अनजाने ही अपनी आबरु बेच आये !
हम तो गिनने में रहें व्यस्त ,
कि हमने कितने कमाये !

उन्हें लगता ही नहीं कि  वो बे-ढंगे हैं ,
उन्हें कतई नहीं शर्म की वो  नंगे हैं ,
वो तो आदतों की तरह हममें बैठे हैं घुलमिल ,
फिर बताओ ,
क्यूँ हम काले चश्मे लगायें ??


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