कहते हैं क्रांति हुई है ,
पूरी दुनियां छोटी हो गयी है !
मगर ,
नहीं दिखती मुझे दुनियां छोटी !
मैं मान भी लेता ,
काश! दुनियां गंर मेरे और तुम्हारे बीच सिमट जाती !!
खामोशी का बतियाना तो कवियों का जुमला भर है ,
प्रिय, किसी खामोशी में , पूरे आनंद से ,
मैं बतियाता ,
मैं कुछ गाता ,
कोई सुन न पाता ,
केवल तुम सुन पाती !
और मैं मान ही लेता ,
छोटी हुई दुनियां की बात बिलकुल सही है !!
पूरी दुनियां छोटी हो गयी है !
मगर ,
नहीं दिखती मुझे दुनियां छोटी !
मैं मान भी लेता ,
काश! दुनियां गंर मेरे और तुम्हारे बीच सिमट जाती !!
खामोशी का बतियाना तो कवियों का जुमला भर है ,
प्रिय, किसी खामोशी में , पूरे आनंद से ,
मैं बतियाता ,
मैं कुछ गाता ,
कोई सुन न पाता ,
केवल तुम सुन पाती !
और मैं मान ही लेता ,
छोटी हुई दुनियां की बात बिलकुल सही है !!
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