tanu thadani ki kavitaayen
Saturday, October 18, 2025
शातिर दिमाग से खेलते हैं
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शातिर दिमाग से खेलते हैं शातिर दिमाग से खेलते हैं , नादान दिल से खेलते हैं , बेवकूफ शरीर से खेलते हैं , हम खुद के भीतर भी ...
Friday, October 17, 2025
असंभव होती हमारी जागरूकता
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असंभव होती हमारी जागरूकता हमारी नीयत के खोखलेपन का सबूत है ! कुकुरमुत्ते की मानिंद उगी टोपियों की जड़ यकानक राजनीतिक ...
हमने बड़े करीने से
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हमने बड़े करीने से सजा रखी हैं अपनी दूरियाँ ! कभी आत्ममुग्धता की छत पे अकेले बैठे लाखों - करोड़ों तारों को देखते हैं कभी ...
आज सुबह से ही परेशान हूँ मैं
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आज सुबह से ही परेशान हूँ मैं , अपनी अजन्मी कविता में बिंब को ले कर ! पुरानी चप्पलों को बिंब बनाया नेताओं का घूर पड़ी सा...
तुम तो धूप थी जाड़े की
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तुम तो धूप थी जाड़े की जिसको मैंने प्यार से पकड़ रखा था अपनी दोनों हथेलियों के बीच ! जो हमसे बड़े थे सभी हँसे थे क...
कल घूमते -घूमते
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कल घूमते -घूमते शहर के एक घर से जब बात हुई तो उसके बंद दरवाजे ने कुछ राज यूँ खोले - चारपाई को ड्राईंग -रूम से हटा कर प...
क्या मैं तुम्हारी जिन्दगी में
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क्या मैं तुम्हारी जिन्दगी में शामिल हूँ मात्र दिनचर्या की तरह ? ऱोज ही पूजाघर में साथ होती हो भक्ति के , रसोई में...
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