अब मनाऊँ कैसे ?
रूठा भी
चला गया दूसरी दुनिया में !
बदल गया मैं
पर बदल नहीं पाया अपनी दुनिया !
रहना है इसी दुनिया में सूखी घास सा !!
रात को अंधेरों से रूठने मत देना ,
दिन में उजाले टूटने मत देना ,
बारिश हो तो भींगना ,
दौडना भागना ; मगर हाथ छूटने मत देना !
बहुत कुछ छूट गया
जो छूट गया उसे बताऊँ कैसे ?
वो तो रच गया गले में इक प्यास सा !!
कल रात तूफान में उड़ गयी छत ,
घर नंगा हो गया ,
मैं कविताएँ लिखता रह गया जमीन पर ,
मेरे साथ हंसता - खेलता - लड़ता चेहरा
अचानक आसमान का हो गया !
मैं उस तक जाऊँ कैसे ?
देखो ना , मैं ही टूट गया एक विश्वास सा !!
------------------------तनु थदानी
रूठा भी
चला गया दूसरी दुनिया में !
बदल गया मैं
पर बदल नहीं पाया अपनी दुनिया !
रहना है इसी दुनिया में सूखी घास सा !!
रात को अंधेरों से रूठने मत देना ,
दिन में उजाले टूटने मत देना ,
बारिश हो तो भींगना ,
दौडना भागना ; मगर हाथ छूटने मत देना !
बहुत कुछ छूट गया
जो छूट गया उसे बताऊँ कैसे ?
वो तो रच गया गले में इक प्यास सा !!
कल रात तूफान में उड़ गयी छत ,
घर नंगा हो गया ,
मैं कविताएँ लिखता रह गया जमीन पर ,
मेरे साथ हंसता - खेलता - लड़ता चेहरा
अचानक आसमान का हो गया !
मैं उस तक जाऊँ कैसे ?
देखो ना , मैं ही टूट गया एक विश्वास सा !!
------------------------तनु थदानी
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