नहीं था कोई विकल्प ,
सिवाय चुप रहने के !
केवल देखो मेरे जख्मों को ,
ना छूना - ना बाँधना ,
सूखने तक खुला रखुंगा इसे , वरना दर्द बिखर जायेगें !
इतने सारे जख्म मेरे वज़ूद पर आये कैसे , मत पूछना ,
ना जाना गहराइयों में ,
मेरे कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगे !
प्रेम के नाटक में मर गया कलाकार ,
मगर किरदार ज़िंदा रहा !
वो तो बहाना था , कि आँखों में कुछ गिर गया ,
कारण अनेक थें आंसुओं के बहने के ,
जो हम कभी नहीं बतायेंगे !
दुनियादारी की आड़ में छिपते लोग ,
नहीं बन पाते मित्र ,
मेरी मानो , दुनियाँ में अपने क़दमों से चलना ,
नहीं तो ,
कंधों पे उठा के घुमाने वाले ,
कहीं भी पटक आयेंगे ,
दुनियाँ ऐसे ही चलती है , पूरी बेशर्मी से समझायेंगे !
बेशक हम समझदार हैं ,
पूरी समझदारी दूसरों को खुश रखने में लगाते हैं ,
कार्य सिद्ध नहीं होने पर नाराज हैं होते ,
ऐसी समझदारी के साथ , हम खुश कैसे रह पायेंगे ?
चलो ! खुश रहने के लिये कुछ ऐसा करते हैं ,
दिल पे जख्म देने वालों के नाम ,
दिल में दफ्न करते हैं !
कोई लिखेगा - कोई बजायेगा - कोई सुनेगा ,
तभी तो हम गायेंगे ....
क्यूँ न यूँ मिलें सबों से ,
ज्यों कल हम लौट के ना आयेंगे !!
सिवाय चुप रहने के !
केवल देखो मेरे जख्मों को ,
ना छूना - ना बाँधना ,
सूखने तक खुला रखुंगा इसे , वरना दर्द बिखर जायेगें !
इतने सारे जख्म मेरे वज़ूद पर आये कैसे , मत पूछना ,
ना जाना गहराइयों में ,
मेरे कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगे !
प्रेम के नाटक में मर गया कलाकार ,
मगर किरदार ज़िंदा रहा !
वो तो बहाना था , कि आँखों में कुछ गिर गया ,
कारण अनेक थें आंसुओं के बहने के ,
जो हम कभी नहीं बतायेंगे !
दुनियादारी की आड़ में छिपते लोग ,
नहीं बन पाते मित्र ,
मेरी मानो , दुनियाँ में अपने क़दमों से चलना ,
नहीं तो ,
कंधों पे उठा के घुमाने वाले ,
कहीं भी पटक आयेंगे ,
दुनियाँ ऐसे ही चलती है , पूरी बेशर्मी से समझायेंगे !
बेशक हम समझदार हैं ,
पूरी समझदारी दूसरों को खुश रखने में लगाते हैं ,
कार्य सिद्ध नहीं होने पर नाराज हैं होते ,
ऐसी समझदारी के साथ , हम खुश कैसे रह पायेंगे ?
चलो ! खुश रहने के लिये कुछ ऐसा करते हैं ,
दिल पे जख्म देने वालों के नाम ,
दिल में दफ्न करते हैं !
कोई लिखेगा - कोई बजायेगा - कोई सुनेगा ,
तभी तो हम गायेंगे ....
क्यूँ न यूँ मिलें सबों से ,
ज्यों कल हम लौट के ना आयेंगे !!
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