मेरी छाया का मुझसे था वादा ,
मेरे साथ साथ चलने का !
मेरी छाया को पूरा था हक ,
मेरे साथ साथ रहने का !
मेरे साथ रहते रहते ,
घोल कर पी गयी घर की दिवारें ,
फिर बताया मुझे, जहां वो आती है नजर
उस फर्श को भी वो खायेगी !
यहाँ मसला उसकी भूख प्यास का नहीं ,
मसला है मुझको छलने का !
दिवार व फर्श हैं तो अस्तित्व है उसका ,
दिवार व फर्श होंगे ,तभी तो वो दिख पायेगी !
अरे , कोई तो बताओ उसे ,
मैं रौशन हूँ तो वो है ,
मुझे अंधेरों में ढ़केल ,
वो खुद भी तो मर जायेगी !!
मेरे साथ साथ चलने का !
मेरी छाया को पूरा था हक ,
मेरे साथ साथ रहने का !
मेरे साथ रहते रहते ,
घोल कर पी गयी घर की दिवारें ,
फिर बताया मुझे, जहां वो आती है नजर
उस फर्श को भी वो खायेगी !
यहाँ मसला उसकी भूख प्यास का नहीं ,
मसला है मुझको छलने का !
दिवार व फर्श हैं तो अस्तित्व है उसका ,
दिवार व फर्श होंगे ,तभी तो वो दिख पायेगी !
अरे , कोई तो बताओ उसे ,
मैं रौशन हूँ तो वो है ,
मुझे अंधेरों में ढ़केल ,
वो खुद भी तो मर जायेगी !!
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