उफ् ! क्या ख़ूबसूरत है ये दुनियां ;
क्यूं ; हम नहीं बन पाते ख़ूबसूरत ?
दिल पहाड़ों सा बना लेते हैं पत्थर;
मगर ख़ूबसूरती पहाड़ों सी नहीं ला पाते ;
औक़ात पानी सी पतली लिये जीते हैं
निर्मलता पानी सी नहीं पा पाते !
माँ ने बच्चे को मार डाला
क्यों कि उसे प्रेमी चाहिए था !
ये कैसी परिभाषा गढ़ ली हमने प्रेम की ;
प्रेम के समर्थन में मुँह किया काला !
क्यूं हमें नींद नहीं आती ?
गंर आ भी जाये
तो सपने क्यूं नहीं आते ख़ूबसूरत ??
इच्छाएं हवा सी जीवंत हैं रखते,
मगर जीने नहीं देते दूसरों को !
नदी से बहते जीवन को नाला बना लेते,
पानी पीने नहीं देते दूसरों को !
हम अपने चहेतों की मुस्कान से
यूं भी खिलवाड़ कर लेते हैं ,
बाज़ार खिलौनों से पटा पड़ा है,
बच्चों को बंदूक खरीद देते हैं !
खिलौने तक नहीं खरीद पाते ख़ूबसूरत !!
क्यूं हम इस ख़ूबसूरत दुनियां के बाशिंदे ,
नहीं बन पाते ख़ूबसूरत ??
क्यूं ; हम नहीं बन पाते ख़ूबसूरत ?
दिल पहाड़ों सा बना लेते हैं पत्थर;
मगर ख़ूबसूरती पहाड़ों सी नहीं ला पाते ;
औक़ात पानी सी पतली लिये जीते हैं
निर्मलता पानी सी नहीं पा पाते !
माँ ने बच्चे को मार डाला
क्यों कि उसे प्रेमी चाहिए था !
ये कैसी परिभाषा गढ़ ली हमने प्रेम की ;
प्रेम के समर्थन में मुँह किया काला !
क्यूं हमें नींद नहीं आती ?
गंर आ भी जाये
तो सपने क्यूं नहीं आते ख़ूबसूरत ??
इच्छाएं हवा सी जीवंत हैं रखते,
मगर जीने नहीं देते दूसरों को !
नदी से बहते जीवन को नाला बना लेते,
पानी पीने नहीं देते दूसरों को !
हम अपने चहेतों की मुस्कान से
यूं भी खिलवाड़ कर लेते हैं ,
बाज़ार खिलौनों से पटा पड़ा है,
बच्चों को बंदूक खरीद देते हैं !
खिलौने तक नहीं खरीद पाते ख़ूबसूरत !!
क्यूं हम इस ख़ूबसूरत दुनियां के बाशिंदे ,
नहीं बन पाते ख़ूबसूरत ??