Thursday, September 18, 2014

tanu thadani तनु थदानी सच कहता हूँ



चौराहे पर चिल्ला कर कहना,

'हाँ ! मुझे गर्व है कि मैं हिन्दू हूँ !'

किसी को डराने की धारायें लगेंगी ,

गिरफ्तार होंगे , पुलिस पकड़ेगी !




चौराहे पर चिल्ला कर कहना,

'हाँ ! मैं मुस्लिम हूँ ,

सिवाय अल्लाह के किसी को नहीं मानता !'

पूरा चौराहा हो जायेगा खाली ,

गिर जायेंगे शटर,

पुलिस डरेगी ,

सेना को खबर देगी !




यहाँ हिन्दू होना या मुसलमान होना ,

निःतांत गैर जरुरी था ,

मगर जरुरी बनाया गया !

क्यों कि किसी का गरीबी हटाओ नारा निकम्मा हुआ था ,

किसी का शाईनिंग इंडिया झूठा साबित हुआ था !




हमें क्यों गर्व है हम भारतीय हैं ?

जो लाउडस्पीकर के मुद्दे पर ,

कई कई आवाजों को यूं दफ्न करते हैं ,

गोया भारतीय होना कीड़े मकोड़े होने सा है !




बेवाओं के आँसू हथेली पर रखना ,

बताना हिन्दू के हैं या मुस्लिम के ??




हमें क्यों गर्व है हम भारतीय हैं ?

ऐसे भारतीय जिसके वीर्य में ,

नहीं है ताकत भारतीय पैदा करने की !

तभी तो पैदा होते हैं ,

मात्र हिन्दू या मुसलमान !

होश आते ही ,

हो जाते मरने मारने पर उतारू ,

और मुद्दे भी ग़ज़ब होते हैं ,

कहीं मंदिर कहीं अजान !




नहीं है जन्नत अल्लाह के पास!

हमें बनानी पड़ेगी जन्नत,

इसी धरती पर,

इसी जीवन में !




न तो गीता हमें क्षमा करना सिखाती है ,

न कुरान किसी को क्षमा करना बताती है !

हमें भारत की भूमि से होगा सीखना क्षमा करना ,

जिसने अपनी छाती को रक्त रंजित करने वालों को ,

टुकड़े टुकड़े करने वालों को ,

कर दिया क्षमा !

क्षमा की भूमि पर ही स्वर्ग बसाना होगा !




मत पढ़ाओ गीता या कुरान बच्चों को ,

वे बिगड़ जायेंगे और हिन्दू - मुसलमान बन जायेंगे !

हमें अपने बच्चों को केवल क्षमा पढ़ाना होगा !

ताकि वे भारतीय बनें !




कोई नहीं डरेगा ,

न शटर गिरेंगे न पुलिस पकड़ेगी ,

जब बच्चे हमारे बीच चौराहे पर,

पूरे गर्व के साथ 'हम भारतीय हैं !' चिल्लायेंगे !!

सच कहता हूँ ,

तब डर को भी पसीने आयेंगे ,

जब हिन्दू मुस्लिम भारतीयता में घुलमिल जायेंगे !!

Saturday, September 13, 2014

tanu thadani तनु थदानी मैंने जब भी दर्द लिखा है


मैं  जब  भी  दर्द  लिखुंगा, ,
नम  दीवार  लिखुंगा !

एक  झुलसी  वफा की शक्ल,
एक  सन्नाटा,
एक  तन्हाई,
फिर  तेरा  प्यार  लिखुंगा !

मैं  जब  भी  दर्द  लिखता  हूँ ,
मुझमें  मैं  खोता  है !
मैं  कतई  मैं  नहीं  होता ,
कईयों  के  आंसू  बटोर  कर,
मेरे  दिल  के  खुले  बरामदे  में ,
मेरा  सुकून  रोता  है !

मैंने  जब  भी  दर्द  लिखा है ,
एक  बिस्तर  लिखा  है !
नागफनियों  से  लथपथ  बिस्तर  पे ,
मैंने  इक इक  सांसे  खोई  हैं !
क्या  लिखा  देख  लिया  ,
क्यूँ  लिखा  , ये  न समझा  कोई  है !
कहीं  परोसा  गया  ,
कहीं  बजी  तालियाँ ,
कोई  शब्दों  पे फिदा  हुआ  ,
कोई  मेरी  शैली  पे !
हर  इक  ने  लिया  आनंद  ,
केवल  मेरी  माँ  रोई  है !!


Wednesday, September 3, 2014

Tanu thadani तनु थदानी पर मुझे नींद क्यूँ नहीं आती

भूख को पकाता है ठंडे चूल्हे पर,
पढ़ाई छोड़ मुन्ना कमाने की आदत डालता है ,
फिर रोता छाती पीटता है अपने नसीब पर ,
नहीं जानता कि उसका नसीब ही तो,
नेताओं को पालता है !

हम आज भी नसीब से ही खुशियाँ छानते हैं !
खाना खाने को भी इक भाग्य मानते हैं !
क्या खूब है जीने का तरीका मित्र ,
बिकते हैं पर कीमत भी नहीं जानते हैं !

हमें आ गया है करना व्यापार ,
खेत बेच चुके ,
अब रिक्शे के मालिक हैं !
कितने सलीके से आजकल रिक्शे पे ही सोते हैं !
हम वो सब करने को हैं तैयार ,
जिसमें हम मानव नहीं  मशीन होते हैं !

सपने ओढ़ सोता पूरा हुजूम ,
आँखें खोलने को नहीं है राजी !
पूरा हिन्दुस्तान लटका है रात की सलीब पर,
सपने अच्छे हैं बस इसलिए हर कोई,
न आँखें खोलता है ,
ना ही कुछ बोलता है ,
खिड़की से आती धूप को ढ़केल ,
सर पे खड़ी सुबह को टालता है !!

पर मुझे नींद क्यूँ नहीं आती ?
जागता हुआ मैं इक तमाशा बनता हूँ ,
सोते लोग तमाशबीन होते हैं !
खेत से रिक्शे तक के सफर पर ,
संसद है मौन
शेयर बाजार भी कुछ नहीं बोलता है !

मेरी जिक्र की चौहद्दी में तो फिर भी वही मुन्ना है
जिसका पढ़ाई छोड़ना मुझे आज तक सालता है !!